आपके पास अपनी सत्ता का कोई अनुभव नहीं है। और जिसे हम कहते हैं मेरा होना, मुझे लगता है कि मैं हूं--यह होना मेरा नहीं है। बल्कि और लोगों ने मुझे जो दिया है, उसका ही संग्रह है। स्वयं का यह अनुभव नहीं है, बल्कि आस-पास से आई हुई प्रतिध्वनियों का संग्रह है।
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