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Shunya Ke Paar (शून्य के पार)
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कर्म, ज्ञान व भक्ति पर राजकोट में हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं चार OSHO Talks
Details
"न तो ज्ञान ले जाएगा, न भक्ति ले जाएगी, न कर्म ले जाएगा। ज्ञान, भक्ति, कर्म तीनों मन के ही खेल हैं।
इन तीनों के पार जो जाएगा—वही अ-मन, नो-माइंड, वही आत्मा, वही परम सत्य उसकी अनुभूति में ले जाता है।
तब मुझसे मत पूछें कि मार्ग क्या है? सब मार्ग मन के हैं। मार्ग छोड़ें, क्योंकि मन छोड़ना है।
कर्म छोड़ें, वह मन की बाहरी परिधि है। विचार छोड़ें, वह मन की बीच की परिधि है। भाव छोड़ें, वह मन की आखिरी परिधि है। तीनों परिधियों को एक साथ छोड़ें। और उसे जान लें, जो तीनों के पार है, दि बियांड। वह जो सदा पीछे खड़ा है, पार खड़ा है, उसे जानते ही वह सब मिल जाता है, जो मिलने योग्य है। उसे जानते ही वह सब जान लिया जाता है, जो जानने योग्य है। उसे मिलने के बाद, मिलने को कुछ शेष नहीं रह जाता। उसे पाने के बाद, पाने को कुछ शेष नहीं रह जाता।"—ओशो
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
धर्म का कोई मार्ग नहीं है, कोई पंथ नहीं है ज्ञान मार्ग नहीं है, ज्ञान एक भटकन है भक्ति: भगवान का स्वप्न-सृजन क्या है शुभ और क्या है अशुभ?
इन तीनों के पार जो जाएगा—वही अ-मन, नो-माइंड, वही आत्मा, वही परम सत्य उसकी अनुभूति में ले जाता है।
तब मुझसे मत पूछें कि मार्ग क्या है? सब मार्ग मन के हैं। मार्ग छोड़ें, क्योंकि मन छोड़ना है।
कर्म छोड़ें, वह मन की बाहरी परिधि है। विचार छोड़ें, वह मन की बीच की परिधि है। भाव छोड़ें, वह मन की आखिरी परिधि है। तीनों परिधियों को एक साथ छोड़ें। और उसे जान लें, जो तीनों के पार है, दि बियांड। वह जो सदा पीछे खड़ा है, पार खड़ा है, उसे जानते ही वह सब मिल जाता है, जो मिलने योग्य है। उसे जानते ही वह सब जान लिया जाता है, जो जानने योग्य है। उसे मिलने के बाद, मिलने को कुछ शेष नहीं रह जाता। उसे पाने के बाद, पाने को कुछ शेष नहीं रह जाता।"—ओशो
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
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