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Shiksha Mein Kranti (शिक्षा में क्रांति)

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शिक्षा के विविध आयामों पर चर्चाओं व वार्ताओं सहित विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों एवं स्थलों पर दी गईं सत्रह (1 से 17) एवं ‘शिक्षाः साधन और साध्य’ सीरीज के अंतर्गत प्रश्नोत्तर सहित जबलपुर में दी गईं नौ (18 से 26)--कुल छब्बीस--OSHO Talks का अद्वितीय संग्रह
ISBN-13: 978-81-7261-050-0
No. of Pages: 1
Cover: 1

Details

यह पुस्तक एक नये मनुष्य, एक नये भविष्य की आधारशिला है, एक नई क्रांति का सूत्रपात है। शिक्षा की बुनियाद को नये बीज-मंत्र देते हुए ओशो कहते हैं—
"यह एंबीशन और उसके केंद्र पर घूमती हुई शिक्षा गलत है। और अगर हमें एक नई दुनिया बनानी हो तो हमें इस केंद्र को बदलना होगा। और कोई नया केंद्र पैदा करना होगा।
कौन सा नया केंद्र इसकी जगह हो सकता है? मैं आपसे कहना चाहता हूं: प्रतिस्पर्धा शिक्षा का केंद्र नहीं हो सकता; न होना चाहिए। शिक्षा का केंद्र प्रेम होना चाहिए।
विद्या मैं उसको कहता हूं जो दूसरों से आगे बढ़ना न सिखाए, बल्कि स्वयं का अतिक्रमण, स्वयं से आगे बढ़ना सिखाए।
नये बच्चों, नई पीढ़ी, नये युवकों, विद्यार्थियों से मैं कहना चाहता हूं: तुम सोचना। तुम अपने पिता की बात मत मान लेना, तुम अपने गुरु की बात मत मान लेना, तुम सोचना। अगर ठीक लगे तो मानना, न ठीक लगे तो लड़ना
पुराना स्कूल था, उसमें शिक्षक केंद्र पर था, बच्चा नहीं। नया स्कूल, नई शिक्षा में बच्चा केंद्र पर होगा, शिक्षक नहीं।"