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Sambhvnaon Ki Aahat (संभावनाओं की आहट)
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ध्यान साधना शिविर, माथेरान में ध्यान-प्रयोगों एवं प्रश्नोत्तर सहित हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं सात OSHO Talks
ISBN-13: 978-81-7261-270-2
No. of Pages: 1
Cover: 1
Details
"मनुष्य साधारणतः आदत में जीता है और आदत को तोड़ना कठिनाई मालूम पड़ती है। हमारी भी सब आदतें हैं, जो ध्यान में बाधा बनती हैं।
ध्यान में और कोई बाधा नहीं है, सिर्फ हमारी आदतों के अतिरिक्त।
अगर हम अपनी आदतों को समझ लें और उनसे मुक्त होने का थोड़ा सा भी प्रयास करें तो ध्यान में ऐसे गति हो जाती है, इतनी सरलता से जैसे झरने के ऊपर से कोई पत्थर हटा ले और झरना बह जाए। जैसे कोई पत्थर को टकरा दे और आग जल जाए। इतनी ही सरलता से ध्यान में प्रवेश हो जाता है। लेकिन हमारी आदतें प्रतिकूल हैं।
हमारी एक आदत है सदा कुछ न कुछ करते रहने की। ध्यान में इससे खतरनाक और विपरीत कोई आदत नहीं हो सकती है।
ध्यान है न-करना। ध्यान है नॉन-डूइंग। ध्यान है कुछ भी न करना।"—ओशो
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
खाली होने की कला ही ध्यान है धर्म क्रांति है, धर्म विकास नहीं है अहंकार सबसे बड़ा बोझ है क्या हैं धारणाओं से मुक्ति के उपाय? संकल्प उन्हें उपलब्ध होता है, जो विकल्प से मुक्त हो जाते हैं
ध्यान में और कोई बाधा नहीं है, सिर्फ हमारी आदतों के अतिरिक्त।
अगर हम अपनी आदतों को समझ लें और उनसे मुक्त होने का थोड़ा सा भी प्रयास करें तो ध्यान में ऐसे गति हो जाती है, इतनी सरलता से जैसे झरने के ऊपर से कोई पत्थर हटा ले और झरना बह जाए। जैसे कोई पत्थर को टकरा दे और आग जल जाए। इतनी ही सरलता से ध्यान में प्रवेश हो जाता है। लेकिन हमारी आदतें प्रतिकूल हैं।
हमारी एक आदत है सदा कुछ न कुछ करते रहने की। ध्यान में इससे खतरनाक और विपरीत कोई आदत नहीं हो सकती है।
ध्यान है न-करना। ध्यान है नॉन-डूइंग। ध्यान है कुछ भी न करना।"—ओशो
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
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