This is a demo store. No orders will be fulfilled.

Rom Rom Ras Peejiye (रोम रोम रस पीजिए)

₹290.00
In stock
ध्यान साधना शिविर, शारदाग्राम में ध्यान-प्रयोगों एवं प्रश्नोत्तर सहित हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं नौ OSHO Talks
ISBN-13: 978-81-7261-409-6
Cover: 1

Details

अहंकार मनुष्य की कमजोरी है—एकमात्र कमजोरी। बाकी की बीमा‍रियां तो सतही हैं, उन सब का मूल बस यही है। सर्प की भांति इसकी कोई रीढ़ नहीं, फिर भी इसके दंश से मनुष्य की चेतना लौटती ही नहीं। उस दंश से छुटकारा कैसे हो, इसी से ओशो इस पुस्तक की शुरुआत करते हैं।‍
इस पुस्तक की भूमिका में सुप्रसिद्ध हास्य कवि श्री महेंद्र अजनबी कहते हैं : ‘ओशो की किताब एक “बंद किताब” नहीं “खुली किताब” है। ओशो दिमाग को बंद नहीं करते, खोलते हैं। उसकी खिड़कियों पर दस्तक देते हैं ताकि शुद्ध प्राण-वायु मस्तिष्क तक जा सके और आप अपने मस्तिष्क से ही नहीं रोम-रोम से इस पुस्तक का रसास्वादन कर स‍‍कें।

‘ओशो ज्ञान की अदभुत और चमत्कृत करने वाली खान हैं; और इस खान में आप जितनी गहराई में खोजते चले जाएंगे उतने अपने हिस्से के हीरे-पन्ने निकालते चले जाएंगे अनवरत रूप से’।