This is a demo store. No orders will be fulfilled.

Main Mrityu Sikhata Hun (मैं मृत्‍यु सिखाता हूं)

₹600.00
In stock
ध्यान साधना शिविर, द्वारका एवं मुंबई में मृत्यु और समाधि पर ध्यान-प्रयोगों एवं प्रश्नोत्तर सहित हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं पंद्रह OSHO Talks
ISBN-13: 978-81-7261-040-1
No. of Pages: 1
Cover: 1

Details

"समाधि में साधक मरता है स्वयं, और चूंकि वह स्वयं मृत्यु में प्रवेश करता है, वह जान लेता है इस सत्य को कि मैं हूं अलग, शरीर है अलग। और एक बार यह पता चल जाए कि मैं हूं अलग, मृत्यु समाप्त हो गई। और एक बार यह पता चल जाए कि मैं हूं अलग, और जीवन का अनुभव शुरू हो गया। मृत्यु की समाप्ति और जीवन का अनुभव एक ही सीमा पर होते हैं, एक ही साथ होते हैं। जीवन को जाना कि मृत्यु गई, मृत्यु को जाना कि जीवन हुआ। अगर ठीक से समझें तो ये एक ही चीज को कहने के दो ढंग हैं। ये एक ही दिशा में इंगित करने वाले दो इशारे हैं।"—ओशो
मृत्यु से अमृत की ओर ले चलने वाली इस पुस्तक के कुछ विषय बिंदु:
  • मृत्यु और मृत्यु-पार के रहस्य
  • सजग मृत्यु के प्रयोग
  • निद्रा, स्वप्न, सम्मोहन व मूर्च्छा के पार — जागृति
  • सूक्ष्म शरीर, ध्यान व तंत्र-साधना के गुप्त आयाम