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Kasturi Kundal Basai (कस्तूरी कुंडल बसै)

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कबीर-वाणी पर पुणे में हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं दस OSHO Talks
ISBN-13: NULL

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धर्म क्या है? शब्दों में, शास्त्रों में, क्रियाकांडों में या तुम्हारी अंतरात्मा में, तुममें, तुम्हारी चेतना की प्रज्वलित अग्नि में? धर्म कहां है? मंदिरों में, मस्जिदों में, गुरुद्वारों में? आदमी के बनाए हुए मंदिर-मस्जिदों में धर्म हो कैसे सकता है? धर्म तो वहां है जहां परमात्मा के हाथ की छाप है। और तुमसे ज्यादा उसके हाथ की छाप और कहां है? मनुष्य की चेतना इस जगत में सर्वाधिक महिमापूर्ण है। वहीं उसका मंदिर है; वहीं धर्म है। धर्म है व्यक्ति और समष्टि के बीच प्रेम की एक प्रतीति--ऐसे प्रेम की जहां बूंद खो देती है अपने को सागर में और सागर हो जाती है; जहां सागर खो देता है अपने को बूंद में और बूंद हो जाता है; व्यक्ति और समष्टि के बीच ध्यान का ऐसा क्षण, जब दो नहीं बचते, एक ही शेष रह जाता है; प्रार्थना का एक ऐसा पल, जहां व्यक्ति तो शून्य हो जाता है; और समष्टि महाव्यक्तित्व की गरिमा से भर जाती है। इसलिए तो हम उस क्षण को ईश्वर का साक्षात्कार...। व्यक्ति तो मिट जाता है, समष्टि में व्यक्तित्व छा जाता है; सारी समष्टि एक महाव्यक्तित्व का रूप ले लेती है।