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Gunge Keri Sarkara (गूंगे केरी सरकरा)
₹340.00
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कबीर-वाणी पर पुणे में हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं दस OSHO Talks
ISBN-13: NULL
Details
अकथ कहानी प्रेम की, कछु कही न जाय।
गूंगे केरी सरकरा, खाइ और मुसकाय।।
एक-एक शब्द बहुमूल्य है। उपनिषद फीके पड़ जाते हैं कबीर के सामने। वेद दयनीय मालूम पड़ने लगता है। कबीर बहुत अनूठे हैं। बेपढ़े-लिखे हैं, लेकिन जीवन के अनुभव से उन्होंने कुछ सार पा लिया है। और चूंकि वे पंडित नहीं हैं, इसलिए सार की बात संक्षिप्त में कह दी है। उसमें विस्तार नहीं है। बीज की तरह उनके वचन हैं--बीज-मंत्र की भांति।
ओशो
गूंगे केरी सरकरा, खाइ और मुसकाय।।
एक-एक शब्द बहुमूल्य है। उपनिषद फीके पड़ जाते हैं कबीर के सामने। वेद दयनीय मालूम पड़ने लगता है। कबीर बहुत अनूठे हैं। बेपढ़े-लिखे हैं, लेकिन जीवन के अनुभव से उन्होंने कुछ सार पा लिया है। और चूंकि वे पंडित नहीं हैं, इसलिए सार की बात संक्षिप्त में कह दी है। उसमें विस्तार नहीं है। बीज की तरह उनके वचन हैं--बीज-मंत्र की भांति।
ओशो
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