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Es Dhammo Sanantano, Vol. 06 (एस धम्मो सनंतनो—भाग छह)
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भगवान बुद्ध की सुललित वाणी धम्मपद पर प्रश्नोत्तर सहित पुणे में हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं 122 OSHO Talks में से 9 (52 से 60) OSHO Talks
ISBN-13: 978-81-7261-382-2
No. of Pages: 270
Cover: HARD COVER
Details
साक्षीभाव: परम सूत्र
मैं तुम्हें अपने पर नहीं रोकना चाहता। मैं तुम्हारे लिए द्वार बनूं, दीवार न बनूं। तुम मुझसे प्रवेश करो, मुझ पर रुको मत। तुम मुझसे छलांग लो, तुम उड़ो आकाश में। मैं तुम्हें पंख देना चाहता हूं, तुम्हें बांध नहीं लेना चाहता। इसीलिए तुम्हें सारे बुद्धों का आकाश देता हूं।
मैं तुम्हारे सारे बंधन तोड़ रहा हूं। इसलिए मेरे साथ तो अगर बहुत हिम्मत हो तो ही चल पाओगे। अगर कमजोर हो, तो किसी कारागृह को पकड़ो, मेरे पास मत आओ।
वस्तुतः मैं तुम्हें कहीं ले जाना नहीं चाहता, उड़ना सिखाना चाहता हूं। ले जाने की बात ही ओछी है। मैं तुमसे कहता हूं, तुम पहुंचे हुए हो। जरा परों को तौलो, जरा तूफानों में उठो, जरा आंधियों के साथ खेलो, जरा खुले आकाश का आनंद लो। मैं तुमसे यह नहीं कहता कि सिद्धि कहीं भविष्य में है। अगर तुम उड़ सको तो अभी है, यहीं है। ओशो
मैं तुम्हें अपने पर नहीं रोकना चाहता। मैं तुम्हारे लिए द्वार बनूं, दीवार न बनूं। तुम मुझसे प्रवेश करो, मुझ पर रुको मत। तुम मुझसे छलांग लो, तुम उड़ो आकाश में। मैं तुम्हें पंख देना चाहता हूं, तुम्हें बांध नहीं लेना चाहता। इसीलिए तुम्हें सारे बुद्धों का आकाश देता हूं।
मैं तुम्हारे सारे बंधन तोड़ रहा हूं। इसलिए मेरे साथ तो अगर बहुत हिम्मत हो तो ही चल पाओगे। अगर कमजोर हो, तो किसी कारागृह को पकड़ो, मेरे पास मत आओ।
वस्तुतः मैं तुम्हें कहीं ले जाना नहीं चाहता, उड़ना सिखाना चाहता हूं। ले जाने की बात ही ओछी है। मैं तुमसे कहता हूं, तुम पहुंचे हुए हो। जरा परों को तौलो, जरा तूफानों में उठो, जरा आंधियों के साथ खेलो, जरा खुले आकाश का आनंद लो। मैं तुमसे यह नहीं कहता कि सिद्धि कहीं भविष्य में है। अगर तुम उड़ सको तो अभी है, यहीं है। ओशो
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