This is a demo store. No orders will be fulfilled.
Es Dhammo Sanantano, Vol. 03 (एस धम्मो सनंतनो—भाग तीन)
₹460.00
In stock
भगवान बुद्ध की सुललित वाणी धम्मपद पर प्रश्नोत्तर सहित पुणे में हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं 122 OSHO Talks में से 10 (21 से 30) OSHO Talks
ISBN-13: 978-81-7261-379-2
No. of Pages: 266
Cover: HARD COVER
Details
मौन में खिले मुखरता
भारत में एक अनूठी परंपरा रही है कि जब फिर कोई बुद्धपुरुष हो तो अतीत के बुद्धपुरुषों की वाणी को पुनरुज्जीवित करे। तुम्हारे हस्ताक्षर हटाए; तुमने जो धूल-धवांस इकट्ठी कर दी है चारों तरफ, उसे हटाए; दर्पण को फिर निखराए, फिर उघाड़े।
थोड़ी ही देर के लिए धर्म शुद्ध रहता है, बड़ी थोड़ी देर के लिए! तुम्हारे सुनते ही उपद्रव शुरू हो गया। तुम संगठन करोगे। तुम संप्रदाय बनाओगे, तुम शास्त्र निर्मित करोगे। वे शास्त्र, वे संप्रदाय, वे सिद्धांत, वे धर्म तुम्हारे होंगे--बुद्धपुरुषों के नहीं। बुद्धपुरुषों का तो बहाना होगा। धीरे-धीरे उनका बहाना भी हट जाएगा। लकीरें रह जाएंगी--मुर्दा। ओशो
भारत में एक अनूठी परंपरा रही है कि जब फिर कोई बुद्धपुरुष हो तो अतीत के बुद्धपुरुषों की वाणी को पुनरुज्जीवित करे। तुम्हारे हस्ताक्षर हटाए; तुमने जो धूल-धवांस इकट्ठी कर दी है चारों तरफ, उसे हटाए; दर्पण को फिर निखराए, फिर उघाड़े।
थोड़ी ही देर के लिए धर्म शुद्ध रहता है, बड़ी थोड़ी देर के लिए! तुम्हारे सुनते ही उपद्रव शुरू हो गया। तुम संगठन करोगे। तुम संप्रदाय बनाओगे, तुम शास्त्र निर्मित करोगे। वे शास्त्र, वे संप्रदाय, वे सिद्धांत, वे धर्म तुम्हारे होंगे--बुद्धपुरुषों के नहीं। बुद्धपुरुषों का तो बहाना होगा। धीरे-धीरे उनका बहाना भी हट जाएगा। लकीरें रह जाएंगी--मुर्दा। ओशो
Please complete your information below to login.
Sign In
Create New Account