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Es Dhammo Sanantano, Vol. 02 (एस धम्मो सनंतनो—भाग दो)
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भगवान बुद्ध की सुललित वाणी धम्मपद पर प्रश्नोत्तर सहित पुणे में हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं 122 OSHO Talks में से 10 (11 से 20) OSHO Talks
ISBN-13: 978-81-7261-179-8
No. of Pages: 252
Cover: HARD COVER
Details
मझ और समाधि के अंतरसूत्र
द्रष्टा हो जाना बुद्ध हो जाना है। बुद्धत्व कुछ और नहीं मांगता, इतना ही कि तुम जागो, और उसे देखो जो सबको देखने वाला है। विषय पर मत अटके रहो। दृश्य पर मत अटके रहो। द्रष्टा में ठहर जाओ। अकंप हो जाए तुम्हारे द्रष्टा का भाव, साक्षी का भाव, बुद्धत्व उपलब्ध हो गया। और ऐसा बुद्धत्व सभी जन्म के साथ लेकर आए हैं।
इसलिए मैं तुमसे कहता हूं, बुद्धत्व जन्मसिद्ध अधिकार है। जब चाहो तब तुम उसे उठा लो, वह तुम्हारे भीतर सोया पड़ा है। जब चाहो तब तुम उघाड़ लो, वह हीरा तुम लेकर ही आए हो; उसे कहीं खरीदना नहीं, कहीं खोजना नहीं। ओशो
द्रष्टा हो जाना बुद्ध हो जाना है। बुद्धत्व कुछ और नहीं मांगता, इतना ही कि तुम जागो, और उसे देखो जो सबको देखने वाला है। विषय पर मत अटके रहो। दृश्य पर मत अटके रहो। द्रष्टा में ठहर जाओ। अकंप हो जाए तुम्हारे द्रष्टा का भाव, साक्षी का भाव, बुद्धत्व उपलब्ध हो गया। और ऐसा बुद्धत्व सभी जन्म के साथ लेकर आए हैं।
इसलिए मैं तुमसे कहता हूं, बुद्धत्व जन्मसिद्ध अधिकार है। जब चाहो तब तुम उसे उठा लो, वह तुम्हारे भीतर सोया पड़ा है। जब चाहो तब तुम उघाड़ लो, वह हीरा तुम लेकर ही आए हो; उसे कहीं खरीदना नहीं, कहीं खोजना नहीं। ओशो
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