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Es Dhammo Sanantano, Vol. 10 (एस धम्मो सनंतनो—भाग दस)

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भगवान बुद्ध की सुललित वाणी धम्मपद पर प्रश्नोत्तर सहित पुणे में हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं 122 OSHO Talks में से 11 (92 से 102) OSHO Talks
ISBN-13: 978-81-7261-352-5
No. of Pages: 340
Cover: HARD COVER

Details

लोभ संसार है, गुरु से दूरी है
जिसके मन में आज भी बुद्ध के प्रति अपार श्रद्धा है, उसके लिए बुद्ध आज उतने ही प्रत्यक्ष हैं जैसे तब थे। कोई फर्क नहीं पड़ा है। श्रद्धा की आंख हो तो समय और स्थान की सारी दूरियां गिर जाती हैं। आज हमसे बुद्ध की दूरी पच्चीस सौ साल की हो गई, यह समय की दूरी है। लेकिन प्रेम के लिए और ध्यान के लिए न कोई स्थान की दूरी है, न कोई समय की दूरी है। ध्यान और प्रेम की दशा में समय और स्थान दोनों तिरोहित हो जाते हैं। तब हम जीते हैं शाश्वत में, तब हम जीते हैं अनंत में। तब हम जीते हैं उसमें, जो कभी नहीं बदलता; जो सदा है, सदा था, सदा रहेगा। एस धम्मो सनंतनो! उसको जान लेना ही शाश्वत सनातन धर्म को जान लेना है। ओशो