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Ashtavakra Mahagita, Vol.7 (अष्टावक्र : महागीता—भाग सात)
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अष्टावक्र-संहिता के सूत्रों पर प्रश्नोत्तर सहित पुणे में हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं 91 OSHO Talks में से 10 (61 से 70) OSHO Talks
ISBN-13: 978-81-7261-374-7
No. of Pages: 300
Cover: HARD COVER
Details
महाशय को कैसा मोक्ष!
पतंजलि पूरे होते हैं समाधि पर; और अष्टावक्र की यात्रा ही शुरू होती है समाधि को छोड़ने से। जहां अंत आता है पतंजलि का वहीं प्रारंभ है अष्टावक्र का। अष्टावक्र आखिरी वक्तव्य हैं। इससे ऊपर कोई वक्तव्य कभी दिया नहीं गया। यह इस जगत की पाठशाला में आखिरी पाठ है। और जो अष्टावक्र को समझ ले, उसे फिर कुछ समझने को शेष नहीं रह जाता। उसने सब समझ लिया। और जो अष्टावक्र को समझ कर अनुभव भी कर ले, धन्यभागी है। वह तो फिर ब्रह्म में रम गया।
ओशो
पतंजलि पूरे होते हैं समाधि पर; और अष्टावक्र की यात्रा ही शुरू होती है समाधि को छोड़ने से। जहां अंत आता है पतंजलि का वहीं प्रारंभ है अष्टावक्र का। अष्टावक्र आखिरी वक्तव्य हैं। इससे ऊपर कोई वक्तव्य कभी दिया नहीं गया। यह इस जगत की पाठशाला में आखिरी पाठ है। और जो अष्टावक्र को समझ ले, उसे फिर कुछ समझने को शेष नहीं रह जाता। उसने सब समझ लिया। और जो अष्टावक्र को समझ कर अनुभव भी कर ले, धन्यभागी है। वह तो फिर ब्रह्म में रम गया।
ओशो
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