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Ashtavakra Mahagita, Vol.6 (अष्टावक्र : महागीता—भाग छह)
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अष्टावक्र-संहिता के सूत्रों पर प्रश्नोत्तर सहित पुणे में हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं 91 OSHO Talks में से 10 (51 से 60) OSHO Talks
ISBN-13: 978-81-7261-373-0
No. of Pages: 312
Cover: HARD COVER
Details
धर्म अर्थात सन्नाटे की साधना
ये जो अष्टावक्र के सूत्र हैं, इन्हें तुम ऐसा मत समझ लेना कि कुछ थोड़ी जानकारी बढ़ गई, समाप्त हुई बात। नहीं, इससे तुम्हारा जीवन बढ़े, जानकारी नहीं, तुम्हारा अस्तित्व बढ़े, तो ही समझना कि तुमने सुना। तुम्हारा अस्तित्व फैले। तुम विराट हो, तुम्हें उसकी याद आए। यह सारा आकाश तुम्हारा है: तुम्हें उसकी स्मृति आए। तुम सम्राट हो। उसका बोधमात्र--और सारा भिखमंगापन सदा के लिए समाप्त हो जाता है।
ओशो
ये जो अष्टावक्र के सूत्र हैं, इन्हें तुम ऐसा मत समझ लेना कि कुछ थोड़ी जानकारी बढ़ गई, समाप्त हुई बात। नहीं, इससे तुम्हारा जीवन बढ़े, जानकारी नहीं, तुम्हारा अस्तित्व बढ़े, तो ही समझना कि तुमने सुना। तुम्हारा अस्तित्व फैले। तुम विराट हो, तुम्हें उसकी याद आए। यह सारा आकाश तुम्हारा है: तुम्हें उसकी स्मृति आए। तुम सम्राट हो। उसका बोधमात्र--और सारा भिखमंगापन सदा के लिए समाप्त हो जाता है।
ओशो
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